राज्या सिंह को बचपन में ही पैसों की असली कीमत समझ में आ गई थी। वो एक ऐसा दौर था जब उसका परिवार आर्थिक तंगी से बुरी तरह से जूझ रहा था। हालात इस क़दर ख़राब थे कि राज्या का परिवार घर के बच्चों को मुफ़्त शिक्षा उपलब्ध कराने वाले सरकारी स्कूल में भी पढ़ाने में सक्षम नहीं हो पा रहा था। वैसे भी महज़ 2,000 लोगों की आबादी वाले और उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर से 24 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित गांव छांगापुर में निजी स्कूल का कोई नामो-निशान तक नहीं था।
ग़ौरतलब है कि राज्या सिंह का जन्म मुम्बई से सटे नालासोपारा में हुआ था जहां उनके पिता हीरे से कामकाज से जुड़े एक मज़दूर के रूप में कार्यरत हैं। राज्या ने अपनी ज़िंदगी के शुरुआती दिन मुम्बई में गुज़ारे जहां उसने छठी कक्षा तक की पढ़ाई की थी। दुर्भाग्यवश मां के बीमार हो जाने के चलते उसे अपने गांव छांगापुर में लौटना पड़ा था।
बेहद कम उम्र में राज्या की ज़िंदगी एक दिन पूरी तरह से बदल गई थी। मुम्बई जैसे एक ज़िंदादिल शहर से बाहर निकलकर उन्हें फिर से अपने छोटे से गांव लौटना पड़ा था जहां लड़कियों को घूमने-फिरने और अपने दम पर कुछ करने की आज़ादी नहीं थी। गांव में एक अलग तरह की दुनिया थी। उसके दादाजी का स्वभाव काफ़ी कठोर किस्म का था। गांव में लड़कियों को बाहरी दुनिया से संपर्क रखने और लोगों से घुलने-मिलने की सख़्त मनाही थी। इतना ही नहीं, लड़कियों को वहां पर फ़ोन तक इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता था।
अपने शुरुआती दिनों में राज्या मुम्बई में रहा करती थी जहां उसने महसूस किया कि वहां लड़कियां आज़ादी से जीवन व्यतीत करते हुए हर काम करने में सक्षम हैं और वे अपने-अपने क्षेत्र में कामयाब भी हैं। ऐसे में उसने हार नहीं मानने का फ़ैसला किया और अपने फ़ोन की मदद ली। एक दिन पॉकेट एफ़एम पर उसने 'सीक्रेट सुपरस्टार' और 'काशी - एक प्रेम कहानी' के बारे में पता चला जिसने उसकी दुनिया को हमेशा के लिए बदल कर रख दिया। इन कहानियों से प्रेरित होकर उसने भी लिखने और लेखिक बनने का फ़ैसला किया।
ऑडियो सीरीज़ कंपनी पॉकेट एफ़एम के ऑनलाइन रीडिंग प्लेटफॉर्म पॉकेट नॉवेल के ज़रिए ख़ुद को एक लेखिका के रूप में स्थापित करने वाली 22 साल की राज्या कहती है, "मेरे जीवन के कुछ साल बेहद ख़राब गुज़रे। हमारे आर्थिक हालात इस क़दर ख़राब थे कि हमारे घर में कोई भी ठीक से पढ़ाई नहीं कर पा रहा था। तब से मैंने यह समझ लिया था कि चाहे दुनिया में कुछ भी हो जाए, पैसे कमाना बहुत ज़रूरी है। पैसों के अभाव में मैंने परिवार को बहुत कष्ट झेलते हुए देखा है।" उल्लेखनीय है कि राज्या सिंह अपने हीरा मज़दूर पिता को अपना 'आदर्श' मानती हैं।
ग़ौर करने वाली बात है कि सिर्फ़ बचपन में ही नहीं, बल्कि उसके कई सालों बाद भी राज्या को आर्थिक तंगी के दौर से गुज़रना पड़ा। ऐसे में राज्या मीडिया संबंधित अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। मगर उसकी दृढ़ता और कभी हार नहीं मानने की प्रवृत्ति ने उसकी हर मुश्किल को आसान किया। उसने लिखने की शुरुआत की और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। राज्या का मानना है कि उसकी लेखनी उसकी हर समस्या का समाधान है।
उल्लेखनीय है कि राज्या ने लेखन की शुरुआत ज़िंदगी की तल्ख़ हक़ीक़तों से पलायन के तौर पर की थी, मगर उसका शानदार लेखन अब उसकी नई पहचान बन गया है जिसे दुनिया भर में अब लाखों लोग पढ़ते हैं। आज की तारीख़ में राज्या को 7 काल्पनिक कहानियां/उपन्यास लिखने का श्रेय जाता है जिनमें 'इश्क़ जुनून और यारियां', 'तेरे इश्क़ की दीवानगी', 'माय हार्टलेस लवर', 'बर्न फॉर यू', 'चाहत का नशा', 'किस मोड़ पर ले आई आशिकी' और 'तबाही मोहब्बत की' का शुमार है। ये सभी कहानियां पॉकेट नॉवेल पर उपलब्ध हैं। इन सब में 'बर्न फॉर यू को सर्वाधिक यानी 15.7 मिलियन बार पढ़ा गया है। इसके बाद आता है 'माय हार्टलेस लवर' का नंबर जिसे पॉकेट नॉवेल पर 14.6 मिलियन बार पढ़ा जा चुका है। मगर राज्या की कामयाबी का सिलसिला यहीं नहीं थमा। पॉकेट एफ़एम ने उनके उपन्यास 'माय हार्टलेस लवर' को 51 घंटे लम्बे ऑडियो सीरीज़ में तब्दील किया। उल्लेखनीय है कि 4.5 की रेटिंग के साथ इस ऑडियो सीरीज़ को पॉकेट एफ़एम रेडियो ऐप पर अब तक 4.8 मिलियन बार सुना जा चुका है।
कुछ साल पहले सपनों की नगरी मुम्बई में शिफ़्ट होने वाली राज्या कहती हैं, "पॉकेट एफ़एम ने आर्थिक रूप से मेरी काफ़ी मदद की है। अब मैं पूरणि तरह आत्मनिर्भर हूं।“
पॉकेट एफ़एम के सह-संस्थापक और सीईओ रोहन नायक कहते हैं, "हमें ये देखकर बेहद ख़ुशी का एहसास हो रहा है कि हमारे लेखक हमारे साथ-साथ नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं। हमेशा से हमारा ध्येय दुनिया भर के लेखक समुदाय को करोड़ों श्रोताओं तक पहुंचाकर उन्हें आत्मनिर्भर और उन्हें सशक्त बनाना रहा है।''
इधर राज्या का कहना है कि उनका अगला पड़ाव बॉलीवुड होगा। उसकी ख़्वाहिश है कि उसकी कहानियों पर संजय लीला भंसाली और करण जौहर जैसे निर्देशक फ़िल्में बनाएं। राज्या का सफ़र तो अभी बस शुरू ही हुआ है!!
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